गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

अब माँ का मन पत्र में

प्रिय बेटे/बेटी,
नानाजी का स्नेह एवं आशिर्वाद से भरा पत्र तो तुम पढ हि चुके हो.उनके जीतना अनुभव तो मुझे नहि लेकिन माँ होने की एक फिक्र हे एहसास हे जिसे केवल मन मे रखना अब मुश्किल इसलिये यह प्रपंच.
बचपन मे एक था कौआ एक थी चिडीया कि कहानी सुनते वक्त उँचे उडने के सपने तुमने देखे होंगे  अब कौऎ-चिडीया से ज्यादा गिद्ध दृश्टि और बलवान पंख तुम्हारे पास है,  विश्वास नहिं हे तो आसपास के पर्यावरण का.
बुद्धि एवं विचारो कि अमुल्य नीधि तो हमे विधाता से मिली हे इसलिये पशु से अलग होने का गर्व हम करते हे जो सहि भी हे लेकिन सात्विकता से समाधान कि तरफ ले जाने वाला संस्कार हमे घर से हि मिलते हे और वह घर सिर्फ माँ-पिता का हि हो सकता हे. केवल मातृ-पितृ दिन मनाकर कर्तव्य कि इतिश्री नहि कि जा सकती बल्कि इसमे छिपा होता हे उनका वात्सल्य,निस्वार्थ प्रेम,कर्तव्य जिसका हम जन्म भर अभिमान कर सकते हे.
किसी सुंदर चित्र का फ्रेम नक्षीदार खूबसुरत होगा तो चित्र ज्यादा टिकाऊ और खूबसुरत होगा
उसके फटने टुकडे-टुकडे होने की संभावना भी कम होगी इसलिये अपने जीवन की फ्रेम तुम्हें चुनना हे.
किसी सुगंधित फूल को मसलकर भी उसकि खूशबु ली जा सकती हे और धिरे-धिरे गहरी साँस लेकर भीउसे सुंघ सकते है.दूसरो का आदर करके मिला सुगंध हमें आत्मसम्मान देता हे जो चिरकाल तक टिका रहता हे.तुम दोनो अब आकाश मे उँचा उडने घर से निकले हो तो वहाँ फिसलन भरे रास्ते,प्रतिकुल हवामान भी मिलेगा तब अपनी नीरक्षीर विवेक बुद्धि से आत्मसम्मान संभालकर चलना तभी घर के मिले संस्कारतुम्हारे यश की गाथा गाएँगे.अब स्वविवेक से काम लोगे ऎसी आशा करती हूँ
                 तुम्हारी
                     माँ
                                                                                                   

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011


आओ गुनगुनाऊँ

एक गीत नया गाऊँ

अपनो के मेले मे

हर पल मुस्कुराऊँ

एक गीत नया गाऊँ

बूंद बनकर पनी की

नदी मे घुल जाऊँ

पंख फैलाकर व्योम मे

सुरिली तान गाऊँ

फिर गुनगुनाऊ---

केनवास पर उतरता

चित्र बन जाऊँ

प्रकृति के रंगो मे

घुलमिल जाऊ

एक गीत नया गाऊँ

झरझर कर झर रहे

पिले-पिले पात

नये कपोंलो का

श्रॄंगार पेडों पर आज

नयनो मे रस भरके

फिर गुनगुनाऊ----

एक गीत नया गाऊँ

कल्पवृक्ष कि छाँव

में बैठकर

समय कि फिसलन में

उम्र भुल जाऊ

फिर गुनगुनाऊ----

एक गीत नया गाऊँ