शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

“द्रोपदी” --लघुकथा के परिंदे-२री ह्रदय का रक्त

"उलझने"--- विषय आधारित
“द्रोपदी”
मन की कसक बढ़ती ही जा रही थी। अपनी पुत्रवधु को इस परिस्थिती में डालकर उन्हें क्या मिला होगा। संतानवति होने के लिए अपने पति इच्छा से खुद उन्होने भिन्न-भिन्न पुरूषो से...।
तो क्या अपने आप को लज्जित होने से बचाने के लिए और उनपर कोई कटाक्ष ना हो तो जानबूझकर पंचपति वरण की बात की होगी। वो भी तो एक स्त्री हैं फिर ऐसा निर्णय क्यों कर लिया होगा।
द्रोपदी का मन भी कितना टूक-टूक हो गया होगा। मन में उमड़ते भावों और झरते ह्रदय के रक्त से द्रोपदी ने कितना कुछ सहा होगा। अनंतकाल से संचित स्त्री की मनोवेदना का अंत...।
एक झटके में विचारों के तंतुओ कि डोर काट डाली।  क्यों उलझी हूं मैं...।

नयना(आरती)कानिटकर

सम्मान की- दृष्टि---लघुकथा के परिंदे--"रोशनी"

आभा अपने नियमित काम निपटा कर समाचार पत्र हाथ मे लेकर बैठी ही थी कि आयुष भुनभुनाते पैर पटकते घर मे घुसा.
"पता नहीं क्या समझते हे ये लोग अपने आप को विद्या के मंदिर को इन लोगो ने राजनीति का अखाडा बना लिया है. ना खुद पढेगे ना दुसरो को पढने देंगे. पता नही क्यो अपने माता-पिता का पैसा..."
"अरे! बस भी करो बताओ आखिर हुआ क्या है."
"माँ! समाचार पत्र तो है ना आपके हाथ मे..." देखो जरा आशीष पुरी तरह से तमतमाया हुआ था.
सुनो आशीष! सबसे पहले तो ये विदेशी झंडे की प्रिंट वाला टी-शर्ट उतारो . ब्रान्डेड के नाम पर तुम इन्हे अपने  छाती  से लगाए फ़िरते हो और..."
"मेरा जूता है... इंग्लिस्तानी ,सर पर लाल..., फिर भी दिल है हिंदुस्तानी"---  माँ.नाचते हुए आशीष ने कहा." वो तो ठिक है पर जब तक तुम अपने घर,देश को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखोगे तुम्हारी स्वतंत्रता के ..."
" बस करो माँ मेरे दिल और दिमाग से कोहरा पुरी तरह छट चुका है." विदेशी झंडे की  टी-शर्ट को बाहर का रास्ता दिखा दिया.
आभा ने घर का दरवाज़ा खोल दिया. सूरज की रोशनी छन-छन कर प्रवेश कर रही थी.
नयना(आरती)कनिटकर
भोपाल

एफ़ आइ.आर--लघुकथा के परिन्दे पहली प्रस्तुति

"विक्षिप्तता की झलक" विषय आधारित
१ली प्रस्तुति

“एफ.आई.आर”

स्वाति मेडम के प्रवेश करते ही इंस्पेक्टर आदित्य आश्चर्य से देखते हुए झटके से अपनी सीट से खड़े होकर कुर्सी आगे खिसकाते हुए बैठने का आग्रह करते हैं।
“अरे! सुनो मेडम के लिए एक ग्लास पानी लाना।” थाने में अचानक तेजी से हलचल हो उठती हैं।
“आप क्या लेंगी चाय या काफी…”
“सुनो! मेडम के लिए गर्मागर्म काफी लाना।”
“जी मेडम कैसे याद किया, आपने क्यो तकलीफ की। बंगले पर बुलवा लिया होता और साहब जी कैसे हैं? सचमुच साहब जी जैसा सुशील,सहयोगी इंसान हमने नहीं देखा। ना तो कभी किसी पर नाराज होते देखा ना अपशब्द बोलते। बडे आला दर्जे के शरीफ़ हैं हमारे साहब। क्या वे दौरे पर हैं?
“फालतू बाते छोडिए मुझे एक एफ.आई. आर. दर्ज करानी हैं “-- प्लीज जल्दी कीजिए।
“जी!बताईए” रजिस्टर और पेन उठाते इंसपेक्टर आदित्य ने कहा।
“मुझे  “....” के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना और बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराना हैं।
थाने की हलचल कानाफूसी में बदल गई।

नयना(आरती)कानिटकर
०६/०२/२०१६
भोपाल