पिली सरसों,संग गु्लमोहर
अबीर गुलाल,फागुन कि बहार
इन्द्रधानुषी रंगो से सजा द्वार
ये निराला प्यार का त्योहार
द्वेष कोई मन मे ना पाले
स्नेह मे सबको रंग डाले
खुशी से ढोल,मृदंग बजाले
प्यार से सबको गले लगाले
सबको प्रीति का रंग चढाना है
शब्दों के संग होली मनाना है
नयना(आरती) कानिटकर
२६/०३/२०१३