शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

मातृत्व

लाखों जतन किये  डाक्टर,पूजा-पाठ ,उपवास जप-तप-मंत्र  ,हर वक्त कलेजे से एक हूक सी उठती रहती जो उसके स्त्रीत्व पर वार करती मगर ईश्वर को उसकी झोली भरना मंज़ूर ना हुआ
  हार कर  रिश्तेदारों के बच्चों मे ही उसने अपना मातृत्व ढूंढने की कोशिश कीउन्हे अपने पास रखा ,अपने आंचल तले ममता की छांव दी,अपनापन दिया,पढ़ाया-लिखाया लेकिन ममता की डोर उन्हे भी बांधने मे कामयाब ना हो सकी वे भी उड गये पंछी  की तरह  आकाश मे उँची उड़ान भरने जो फिर लौटकर घोसले मे कभी ना आये
  सोचते-सोचते अखबार पढते हुए  अचानक उसकी नजर आज के वर्गिकृत विज्ञापन के पेज पर अटक गई
            "एक कामकाजी दंपत्ति को अपना बच्चा सम्हालने के लिये आवश्यकता है एक ऐसी महिला की जो    बच्चे को नानी-दादी सा प्यार दे सके."
  अपनो को तो बहुत देख चूकि थी. अब निश्चय किया पराये के काम आने का.शायद अब उसके कलेजे को ठंडक मिल जाये
 उठकर तुरंत दिये  गए मोबाईल नंबर पर उँगलिया घुमा दी.
नयना(आरती) कानिटकर