शुक्रवार, 29 मार्च 2013

युद्ध भूमि

तुम्हें विश्वास ही नही था
मेरी उन बातों का
चल पडे थे तुम ,हाथ मे
शस्त्र उठाये
जीवन के उस मैदान में
जहाँ चहू और ढेर था
बाधाओं का ,चट्टानों का
काँटेदार वृक्षो का,धूल का
उनसे कैसे सामना करते 
तुम उन शस्त्रो से
वहाँ तो चाहिये थी
अनुभवों कि गठरी जो
हौले-हौले काँटो को भी
चुनकर हटाती और
आँखो मे चुभने वाली
धूल को भी साथ ही
मस्तक पर लगने वाले
पत्थरों को इकट्ठा कर हटाती
तुम्हारी उस युद्ध भूमि से

फिर तुम विजयी बनकर लौटते
पूरे सालिम चन्द्र गुप्त या

सिकंदर बनकर

नयना(आरती)कानिटकर
२९/०३/२०१३

मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली

                               
पिली सरसों,संग गु्लमोहर
अबीर गुलाल,फागुन कि बहार

                    इन्द्रधानुषी रंगो से सजा द्वार
                    ये निराला प्यार का त्योहार
                          
 द्वेष कोई मन मे ना पाले                          
स्नेह  मे सबको रंग डाले
                                खुशी से ढोल,मृदंग बजाले
                               प्यार से सबको गले लगाले

सबको प्रीति का रंग चढाना है
शब्दों के संग होली मनाना है


नयना(आरती) कानिटकर
२६/०३/२०१३

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

परम्पराए और वैज्ञानिक आधार--3(मंत्रोच्चार)

       #परम्पराए और वैज्ञानिक आधार
#नवरात्र 
#मंत्रोच्चार 

माँssss माँssss की आवाज़ के साथ मेरी बेटी अपरा रसोई घर  में प्रवेश करती है.माँ देखो ना दादाजी को कब से माला हाथ में लिए सिर्फ़ मंत्र पढ रहे है   इससे क्या होता है.यह तो समय कि बर्बादी है सिर्फ़. 
क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार  है? मैं तो इन सब चीज़ो को नही मानती और आप  भी विज्ञान स्नातक होते हुए इन सब बातों पे विश्वास करती है? .हे ईश्वर आप इन सब अंधविश्वास को कब तक मानते रहेंगे.
    इतने मे दादाजी भी चाय कि फरमाइश लिये रसोई मे प्रवेश करते है.वे माँ बेटी का संवाद सुन अपरा से कहते है बेटी चाय लेकर बैठक में आओ मैं  तुम्हें विस्तार से बताता हूँ.अपरा चाय का कप लिये बैठक मे जाती है.दादाजी प्यार से उसे पास बैठा कर कहते है सुनो-------
         मैं भी पहले इन बातों मे विश्वास नही करता था.लेकिन एक बार बहुत सालों पहले जब मैं अपने मामा के घर गया था तो मेरे मामा किसी गहन ध्यान मे मग्न थे.उन्होने मुझे इशारे से बैठने को कहा और जब मन्त्रो का जाप पूरा हुआ तब मेरे कुशलता के बारे मे जानकारी ली.उस वक्त मैं ने उनसे यही बात कही जो आज तुम अपनी माँ से कह रही थी.तब मेरे मामा ने कहा वक्त आने पर मैं अपनी बात सिद्ध करुँगा.ऐसे ही काफी समय बीत गया पुन: एक बार जब मे उनके घर गया तो दरवाज़े की घंटी बजाने ही वाला था कि अंदर से मेरे लिये गालियो कि बौछार होने लगी तब मैं गुस्से मे तनतनाते हुए अपने घर आ गया ,मामा के घर कभी ना जाने कि कसम खाकर .ऐसे ही काफ़ी समय बीत गया.
जब मैं बहुत दिनो तक उनके घर नही गया तो वे बैचेन हो उठे .उन्होने ही मुझे बुलावा भेजा क्षमा याचना के साथ.दूसरे दिन मैं उनके घर पहुँचा तो उन्होने मेरे तरीफो के पूल बांधना शुरु कर दिये .मैं बडा खुश हो गया.तब वे बडी जोर से हँसने लगे हाहाहाहा------
      देखो तुम्हें कहा था ना मंत्रो का अपना महत्व होता है.उस दिन तुम्हें जब गालियाँ दी वह गुस्से का मंत्र था उसका प्रभाव तुम्हारे दिमाग पर हुआ और तुम गुस्से से भर उठे.मंत्र का प्रभाव हुआ ना तुम पर.

अभी देखो तुम्हारी तारीफ कि वह खुशी का मंत्र था उसने तुम्हें खुश कर दिया.

असल मे शब्दों के उच्चारण से जो ध्वनि तरंगें निकलती है उसका सीधा असर हमारे  मस्तिष्क के क्रिया कलापो पर होता है.मस्तिष्क मे तंत्रिका तंत्र का जाल बिछा हुआ है वह तुरंत संदेशा देते है हमारे क्रिया कलापो का, फिर इनका असर तुरंत हमारे कोशिका के कोशिका विज्ञान (cytology) पर होता है.आओ एक आसान उदाहरण देता हूँ
                   जब तुम पानी मे कंकड-पत्थर फेंकती हो तो उसमे  लहरें उत्पन्न होती जो दूर तक जाती हैं, उसी प्रकार हमारे मुँह से निकला प्रत्येक शब्द, आकाश के सूक्ष्म परमाणुओं में कंपन उत्पन्न करता है और उस कंपन से लोगों में प्रेरणा जागृ्त होती हैं। जैसे मैने उपर बताया था-----
                       मंत्र शक्ति पुर्णतया ध्वनि विज्ञान  के सिद्धांतों पर आधारित है.इनमें जो शब्द गुंथे गये है. मंत्र उच्चारण से भी एक विशिष्ट ध्वनि कंपन बनता है जो कि संपूर्ण वायु मंडल में व्याप्त हो जाता है। इसके साथ ही आंतरिक विद्दुत भी तरंगों में निहित रहती है।  उनका अपना महत्व है रासायनिक क्रियायों के फलस्वरूप शरीर में विद्दुत जैसी एक धारा प्रवाहित होती है(आंतरिक विद्दुत) तथा मस्तिष्क से विशेष प्रकार का विकिरण उत्पन्न होता है। इसे आप मानसिक विद्दुत कह सकते हैं। यही मानसिक  विद्दुत (अल्फा तरंगें) मंत्रों के उच्चारण करने पर निकलने वाली ध्वनि के साथ गमन कर,दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करती है या इच्छित कार्य संपादन में सहायक सिद्ध होती है। 
     मंत्र साधना से मन ,बुद्धि,चित्त मे असाधारण परिवर्तन होता है.विवेक ,दुरदर्शिता .तत्वज्ञान और बुद्धि मे उच्चता प्राप्त होती है.
          मैं जो"आँखो"के लिये रोज मंत्र जाप करता हूँ उसका असर असाधारण रुप से मेरी दृष्टि क्षमता पर हुआ है.कल से मैं तुम्हें अलग अलग मंत्रो के बारे मे जानकारी दूँगा.
साथ ही मंत्रो को उच्चरित करते वक्त अलग अलग प्रकार के मानकों का उपयोग किया जाता है जैसे रुद्राक्ष , स्फटिक , चन्दन की लकड़ी से बने मोती आदि. हाथों के अंगुली की मुद्रा बनाकर भी जाप किया जा सकता है.
     अपरा अपलक संतुष्ट भाव से दादाजी को निहार रही थी.अरे!!  अरे!!! अब उठो अपना ध्यान पढाई मे लगाओ बाकी बातें हम अब बाद मे करेंगे.
   जी!!जीSSSS दादाजी अब हमारी क्लास भी शाम को रोज लगा करेगी नये-नये मंत्रो के बारे मे जानने के लिये
नयना (आरती) कानिटकर

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