सोमवार, 10 सितंबर 2012

थोरियम घोटाला

          ६ सितंबर को सभी सामाजिक साइट एक अति उच्च तापमान कि खबर से लबालब थी वह है      ४८,०००००,००००००००(करीब ४८ लाख करोड रुपये) के घोटाले की.मेरे कार्यालयीन सहयोगी प्रणय ने मेरा ध्यान इस ओर आकर्षित किया था.
  यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे बडा घोटाला कहा जा सकता है.
 हमारी UPA सरकार ने पुरी अवधि मे घोटाले के अलावा कुछ नही किया.यह UPA सरकार का अटूट घोटाला रिकार्ड है.
  सरकार इसे बडे हल्के ढंग से ले रही है अन्यथा उसका चुनावी स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और मीडिया भी थोरियम घोटाले के बारे मे कुछ नही कह रहा यह बडा प्रश्नवाचक चिन्ह है.जबाब भी हम जानते है मीडिया को भव्य कमीशन मिलेगा अपना मुँह बंद रखने के लिये.
        साथ ही हमारी सोनिया जी अपनी अज्ञात बीमारी के चलते उपचार के लिये विदेश मे है.घोटाला बाहर आ गया तो उनका स्वास्थ्य ओर बिगड सकता है.
                                  आइये जानते है थोरियम क्या है.
भारत  परमाणु वैज्ञानिको के अनुसार थोरियम हमारे परमाणु कार्यक्रम के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण धातु है. इसने हमे परमाणु बिजली संयत्रो मे असीमित मात्रा मे लगने वाले यूरेनियम के आयात पर निर्भरता से मुक्त कर दिया है क्योंकि थोरियम समुद्र तट पर रेत से निकाला जाता है.
       स्टेट्समेन कि एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार Monazite जिससे थोरियम निकाला  जाता है कच्चे माल के निर्यात को नियंत्रित करने मे नाकाम रही  है बल्कि २.१ लाख टन निर्यात कि अनुमति दी है.रिपोर्ट के अनुसार Monazite  से निकले थोरियम कि अनुमानित किमत १०० डालर प्रति टन है.इस प्रकार सरकारी ख़ज़ाने(राज कोष) को ४८ लाख करोड रुपये का नुकसान परमाणु ईंधन कार्यक्रम के लिये होगा.
      Monazite क्या है?.यह सिर्फ़ रेत नही है बल्कि विशेष रुप से केरल,उड़ीसा,तमिलनाडु के समुद्री तटों से मिलने वाला ऐसा कच्चा उत्पाद है जिससे १०% थोरियम का उत्पादन हो सकता है.२००५ के बाद से इन तटों से अंधाधुंद खनन का काम चल रहा है.
      थोरियम को यूरेनियम के आइसोटोप मे बदला जाता है जो परमाणु रिएक्टर मे अंतहीन(multipale times) बिजली उत्पाद में प्रयोग किया जाता है.इसे बार-बार उपयोग मे लाया जा सकता है.
       भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के एक रिएक्टर  जो चेन्नई के निकट कलपक्कम में है थोरियम से संचालित होता है.कलपक्कम मे ५०० मेगावाट कि फास्ट ब्रिदर रिएक्टर पर भी काम चल रहा है
  थोरियम ईंधन  में मुख्य विशेषता यह भी है कि इससे रेडिओ विशाक्त अपशिष्ट भी कम निकलते है.
 हाल ही मे जुलाई मे परमाणु उर्जा के अध्यक्ष आर.के.सिन्हा ने कहाँ है कि परमाणु बिजली संयंत्र मे थोरियम को यूरेनियम क स्थान लेने मे थोड़ा समय लग सकता है लेकिन थोरियम संचालित रिएक्टर मॉडल का  का हमे आकलन करना चाहिये.
  भारतीय परमाणु  उर्जा कार्यक्रम के लिये यह बहुत महत्वपूर्ण है इसलिये भारत सरकार को इसके निर्यात की नीति के बारे मे बडी सुरक्षा से कदम उठाना चाहिये.
  १३७ साल पुराने समाचार पत्र स्टेट्समेन ने बडे पैमाने पर थोरियम घोटाले का पता लगाया है .तो क्या अब इसे सिर्फ महालेखा परीक्षक के कार्यालय मे छोड देना उचित होगा.
                  "आइये हम सब मिलकर इसके विरुद्ध आवाज़ उठाए"
-------------------------------------------------------------------------------------
अल्प समय और अल्प बुद्धि से जानकारी बटोरकर आप तक पहुचाँने प्रयास है.अधिक जानकारी http://indiandefenceboard.com/threads/thorium-scam-biggest-scam-in-india.4069/ से प्राप्त कर सकते है.