कई दिनो बाद आज बादलों की आड से जब सूरज ने झांका बंद खिड़की के पल्लो बीच कि दरार से एक किरण प्रवेश कर गई घर के अंदर साथ मे लाई थी प्रकृति सारी खुशनुमाई समेट एक उजाले के रुप में बस मिल गया जीवन को एक लक्ष्य पुन: लड़ने का अंधियारे के बादल भगा दूर तक रोशनी की किरण संग चलने का---