डायलिसीस सेंटर के वेटिंग एरिया मे बैठे स्मिता का सारा ध्यान चिकित्सा कक्ष की तरफ़ था सचिन को अभी-अभी अंदर ले गये थे.भगवान की मुर्ति सामने थी लेकिन उसका मन अशांत था .
इतने मे सामने से एक खूबसुरत ,करिने से पहना हुआ सौम्य पहरावा,कोई भी आकर्षित हो जावे ऐसा आभायमान व्यक्तित्व की धनी महिला आती है.
वो अपने डब्बे से सभी को मतलब हर आने-जाने वाले को तिल-बर्फ़ी ’चिक्की देते हुए कह रही थी "तिल-बर्फ़ी लो मीठा-मीठा बोलो".सभी डाक्टर्स,सिस्टर्स,वहाँ के सारे मरीज,मरीजो के रिश्तेदार सभी संग अपनी खूबसुरत हँसी और अपनापन बाँट रही थी
स्मिता अशांत थी,अधिर हो रही थी लेकिन डाक्टर साहब ने उसकी मनस्थिती ताड ली .बोले--
"स्मिता ये जोशी आंटी है अपने पति संग लम्बे समय से यहाँ आ रही है.इनके सारे त्योहार दशहरा,दिवाली,राखी सब यही मनते है वो यहा की सबसे सिनियर पेशेंट रिलेटिव्ह है .बडी जिन्दादिल महिला है,सब पेशेंट रोज उनका इंतजार करते है और हा सचिन भी ठिक है अब जल्दी छुट्टी मिल जायेगी उसे.
स्मिता ने अपने दु:ख का अपने चारो और मानो कोश सा निर्माण कर लिया था,लेकिन जोशी आंटी ने तो अपने प्रयत्नो से परिस्थीति को उलट दिया था,हार नहीं मानी थी.
उनको देख स्मिता ने सोच लिया जिंदगी हमेशा जीते रहने मे है,हौसले और जज्बे मे है.
जब तक जिंदादिली कायम है,आदमी जिन्दा है.
नयना(आरती) कानिटकर.
२२/१२/२०१५
इतने मे सामने से एक खूबसुरत ,करिने से पहना हुआ सौम्य पहरावा,कोई भी आकर्षित हो जावे ऐसा आभायमान व्यक्तित्व की धनी महिला आती है.
वो अपने डब्बे से सभी को मतलब हर आने-जाने वाले को तिल-बर्फ़ी ’चिक्की देते हुए कह रही थी "तिल-बर्फ़ी लो मीठा-मीठा बोलो".सभी डाक्टर्स,सिस्टर्स,वहाँ के सारे मरीज,मरीजो के रिश्तेदार सभी संग अपनी खूबसुरत हँसी और अपनापन बाँट रही थी
स्मिता अशांत थी,अधिर हो रही थी लेकिन डाक्टर साहब ने उसकी मनस्थिती ताड ली .बोले--
"स्मिता ये जोशी आंटी है अपने पति संग लम्बे समय से यहाँ आ रही है.इनके सारे त्योहार दशहरा,दिवाली,राखी सब यही मनते है वो यहा की सबसे सिनियर पेशेंट रिलेटिव्ह है .बडी जिन्दादिल महिला है,सब पेशेंट रोज उनका इंतजार करते है और हा सचिन भी ठिक है अब जल्दी छुट्टी मिल जायेगी उसे.
स्मिता ने अपने दु:ख का अपने चारो और मानो कोश सा निर्माण कर लिया था,लेकिन जोशी आंटी ने तो अपने प्रयत्नो से परिस्थीति को उलट दिया था,हार नहीं मानी थी.
उनको देख स्मिता ने सोच लिया जिंदगी हमेशा जीते रहने मे है,हौसले और जज्बे मे है.
जब तक जिंदादिली कायम है,आदमी जिन्दा है.
नयना(आरती) कानिटकर.
२२/१२/२०१५