आज रानी को विदा करते वक्त उसकी आँखो से झर-झर आँसू बह रहे थे.
बहन और जीजाजी की मृत्यु के पश्चात गरीबी के चलते बहन की बेटी को पालने मे वह असमर्थ था.
तब भरे दिल से उसने अपने साहब के यहाँ छोटे-मोटे घरेलू कामों के लिये उसे छोड दिया था.बदले मे उसे दो वक्त का खाना और वर्ष मे २-३ जोडी कपड़े नसीब होते थे.
मालकिन दीपा मेमसाब बहुत नरम और दिलेर स्वभाव की थी.उन्होने उसके साथ कभी गलत बर्ताव नही किया.पास ही के एक सरकारी स्कूल मे उसे एडमिशन भी दिला दिया था.सुबह के काम साथ-साथ निपटा कर वह स्कूल जाने लगी थी.अपने बच्चों के साथ-साथ कभी-कभी वह उसे भी पढा दिया करती
वह पूरी तरह अब उस घर मे रम सी गयी थी.प्रकाश अंकल ने तो उसका नाम रानी रख दिया था.वह भी उन्हे पूरा आदर देती थी.इसी तरह धीरे-धीरे १२ वर्ष गुजर गये . उसने १२ वी की परीक्षा उत्तिर्ण कर ली
उस दिन आनंद से दीपा मेम्साब और साहब ने मिठाई बाँटी और उसके मामा के घर भी भिजवाई थी.मामा भी मिलने आए थे उस दिन.आँखो मे आनंद से आँसू उमड़ आए थे उनके.घर ले जाने की बात करने लगे पर अंकल ने मना कर दिया
अब रानी घर के कामो के साथ अंकल के व्यवसाय के लिखा-पढी के छोटे-मोटे काम देखने लगी थी.साथ ही साथ प्राइवेट बी.काम. भी पूरा कर लिया
आज रानी बहुत खुश थी .साहब ने उसका विवाह उन्ही के ऑफ़िस मे काम करने वाले अनाथ योगेश के साथ कर दिया था जो उनके यहाँ ५-६ सालों से काम कर रहा था.बहुत सरल मेहनती स्वभाव का था वो.
मेमसाब व साहब की आँखो मे रानी बिदाई के साथ-साथ खुशी के आँसू भी थे.
आज दो जिंदगीयो से "अंधकार" हमेशा के लिये दूर हो चुका था.
वह अपने साहब के सामने आदर से नतमस्तक खडा था.
बहन और जीजाजी की मृत्यु के पश्चात गरीबी के चलते बहन की बेटी को पालने मे वह असमर्थ था.
तब भरे दिल से उसने अपने साहब के यहाँ छोटे-मोटे घरेलू कामों के लिये उसे छोड दिया था.बदले मे उसे दो वक्त का खाना और वर्ष मे २-३ जोडी कपड़े नसीब होते थे.
मालकिन दीपा मेमसाब बहुत नरम और दिलेर स्वभाव की थी.उन्होने उसके साथ कभी गलत बर्ताव नही किया.पास ही के एक सरकारी स्कूल मे उसे एडमिशन भी दिला दिया था.सुबह के काम साथ-साथ निपटा कर वह स्कूल जाने लगी थी.अपने बच्चों के साथ-साथ कभी-कभी वह उसे भी पढा दिया करती
वह पूरी तरह अब उस घर मे रम सी गयी थी.प्रकाश अंकल ने तो उसका नाम रानी रख दिया था.वह भी उन्हे पूरा आदर देती थी.इसी तरह धीरे-धीरे १२ वर्ष गुजर गये . उसने १२ वी की परीक्षा उत्तिर्ण कर ली
उस दिन आनंद से दीपा मेम्साब और साहब ने मिठाई बाँटी और उसके मामा के घर भी भिजवाई थी.मामा भी मिलने आए थे उस दिन.आँखो मे आनंद से आँसू उमड़ आए थे उनके.घर ले जाने की बात करने लगे पर अंकल ने मना कर दिया
अब रानी घर के कामो के साथ अंकल के व्यवसाय के लिखा-पढी के छोटे-मोटे काम देखने लगी थी.साथ ही साथ प्राइवेट बी.काम. भी पूरा कर लिया
आज रानी बहुत खुश थी .साहब ने उसका विवाह उन्ही के ऑफ़िस मे काम करने वाले अनाथ योगेश के साथ कर दिया था जो उनके यहाँ ५-६ सालों से काम कर रहा था.बहुत सरल मेहनती स्वभाव का था वो.
मेमसाब व साहब की आँखो मे रानी बिदाई के साथ-साथ खुशी के आँसू भी थे.
आज दो जिंदगीयो से "अंधकार" हमेशा के लिये दूर हो चुका था.
वह अपने साहब के सामने आदर से नतमस्तक खडा था.