मंगलवार, 26 जनवरी 2016

मनोबल - नया लेखन नये दस्तखत

"सुहानी" नैन-नक्श और स्वभाव से पुरी ठकुराईन पर गई थी.उसे  कोई अगुआ कर ले गया था मेले मे से.
 अपनी किशोरवयीन बेटी के अचानक ग़ायब हो जाने के बाद ठकुराईन का किसी काम मे मन ना लगता था.
शुरु-शुरु मे बहुत कोशिश की उसे ढूंढने की मगर...
ठाकुर  अलमस्त  मौजी आदमी उन्होने इसे अपनी किस्मत मान धीरे-धीरे  भुला दिया और अपनी औकात पे आ गये.
.ठाकुर का वही सब फ़िर  शराब-कवाब और...
ठकुराईन की कोई ऐसी उम्र ना हो गयी थी कि हर काम उन्हे नीरस लगे  लेकिन ठकुराईन को  तो अब उनकी अंकशयनी  बनने से भी ऐतराज होने लगा था.आज उन्होने बेटी को ना खोज पाने का ताना कसते उन्हे झिटक दिया था.
आहत ठाकुर हवेली छोड़ निकल गये थे  बाड़ी कि ओर.
"आओ! ठाकुर आज आपके लिये एक नयी..." केशर बाई ने कहा
कमरे मे प्रवेश करते ही उनका  मनोबल एकदम गिर गया और  आँखो के आगे धुँध...
नयना(आरती)कानिटकर