बुधवार, 9 अगस्त 2017

बंधन ---विषय आधारित- नयलेखन नये दस्तखत

"पलट वार"-----

श्रुती जब से रक्षा बंधन के लिए घर पे आई थी देख रही थी भाई कुछ गुमसुम सा है. हरदम तंग करने वाला, चोटी पकड़ कर खींचने वाला, मोटी-मोटी कहकर चिढाने वाला भाई कही खो सा गया हैं.
" माँ! ये श्रेयु को क्या हो  गया  है. जब से आयी हूँ बस धौक (चरण स्पर्श) देकर अपने कमरे मे घुस गया हैं."--प्रवास के बाद तरोताजा होकर रसोई में प्रवेश करते हुए उसने पूछा
" बेटा पता नहीं क्या हुआ है. शायद नौकरी को लेकर परेशान हो ,काम पसंद ना हो.इससे..."
" तो छोड दे .दूसरी देख ले. अच्छा पढा लिखा है, काबिल है."
" तेरे बाबा भी बहुत बार कह चुके. अब तो चिकित्सक की सलाह पर भी अमल कर रहे." माँ ने उदास लहज़े में कहा
जैसे ही वह भाई के कमरे में गई देखा वो बिस्तर पर निढाल सा पडा था. आँखें बंद थी. दवाई का पैकेट हाथ में ही था. मोबाईल के  ब्लिंक होते ही उसकी नजर उस पर पडी. उठाकर देखा तो व्हाट्स एप पर ..."अरे! ये तो मेरी सहेली रीना हैं". उसी गली मे चार घर छोड़कर ही तो रहती है वह. एक ही झटके में सारे मेसेजेस पढ डाले. ओह तो ये बात है भाई के बीमारी की....जिसे उसने अपनी छोटी बहन  के समान प्यार दिया वो आज इस पवित्र रिश्ते को ठुकरा कर  ब्लैकमेल करने पर तुली है. उसकी नज़रों मे वो सारा वाक़या घूम गया जब उसने  रीना  से  उसके भाई शरद में अपने पसंदगी का  इज़हार किया था तब .... और फिर जबरन  उसने शरद के हाथ में राखी बंधवा दी थी.
" माँ में अभी आई कहकर तेजी से रीना के घर से जबरदस्ती  खिंचते कर लाते हुए श्रेयस के कमरे मे पहुँच गई.
"  श्रुती !छोड  ये क्या कर रही है कितना कस के पकडी  है मेरी कलाई, क्या चाहती है..." उसने  हाथ छुड़ाने का भरसक प्रयत्न करते हुए कहा
शरद तो मुझे चाहता था प्यार का रिश्ता था हमारा मगर श्रेयस उसने तो सदा तुम्हें छोटी बहन सा प्यार दिया और  तुमने भी अपने मतलब के वक्त  भाई- भाई कहकर अपने काम निकाल लिए.
" ये लो! बांधों भाई की कलाई पर  अब से, तुम से उसकी  रक्षा की  मेरी बारी "
नयना(आरती)कानिटकर
०९/०८/२०१७