मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

कोकिल कंठी

एक  बहुत साधारण  परिवार में उसका जन्म हुआ था पिता के कमाई मे बस सरकारी स्कूल मे साधारण शिक्षा और अन्य बहुत ही आवश्यकताओ को जुटाया जा सकता था. माँ अपनी क्षमता से अच्छा से अच्छा करती मगर...
उसका मन पढने में लगता मगर ... बहुत सुरीला कंठ पाया था रेडियो पर सुन-सुनकर ही गीत दोहराती रहती थी।  घर से कुछ दूरी पर ही संगीत विद्यालय था मगर वहाँ प्रवेश की हसरते लिये ही वक्त गुजर गया। समय के साथ ब्याह हो गया अच्छे सुखी परिवार में जब पहली आहट हुई माँ बनने की तो पुन: नई हसरते... ईश्वर से बस एक प्रार्थना करती कि मुझे एक बेटी देना बडी-बडी आँखो वाली और उसका कंठ सुरीला बिलकुल कोकिल कंठी हो फिर चाहे उसका रंग सावंला ही क्यो ना हो
अनेको रुकावटो के बावजूद उसने कोकिल कंठी बेटी को संगीत की शिक्षा दिलाई
बेटी के पहले शास्त्रीय  संगीत कार्यक्रम  मे  जाते वक्त पति ने रास्ता रोकना चाहा मगर..
प्रस्तुति देती  बेटी को देखते उसकी आँखो मे संतुष्टि के भाव उभर आयेकार्यक्रम समाप्ति पर आशिर्वाद देने पिता सबसे पहले मंच पर थे.
नयना(आरती)कानिटकर