मंगलवार, 24 नवंबर 2015

उत्तराधिकारी

        अत्यंत रुपवती स्नेहल के लिये सिर्फ़ एक रुपया और सुपारी मे सेठ करोडीमल की ओर से रिश्ता चल कर आया तो माँ-बाबा पहले तो डर गये मगर अपनी गरीबी परिस्थिति देख रिश्ता स्वीकार कर लिया था.
      विवाह पश्चात एक अत्यंत साधारण परिवार से निकल जब गोकुलधाम मे  कदम रखा तो    सिर्फ़ बाबा की बातें गांठ बांध कर लाई थी.
" बेटा देने को मेरे पास कुछ नहीं है,बस संस्कारो की गठरी तुम्हें सौंप रहा हूँ.मेरा मान रख पति और ससुराल वालो से  सामंजस्य बैठा लेना . यहाँ तो तुम्हें मे ठिक से दो जून रोटी भी नही खिला सका,वहाँ तुम्हें दोनो वक्त की रोटी तो भर पेट मिलेगी.
    अपने प्यार से ,बर्ताव से मैने उनके बेटे के साथ-साथ सेठ का दिल भी जीत लिया था जब  उनका निकम्मा बेटा भी उनके काम मे हाथ बटाने लगा था."
       गहन चिकित्सा कक्ष मे भर्ती सेठ करोडीमल के सिरहाने बैठी वो इसी सोच मे मग्न थी.
   तभी सेठ करोडीमल भी आँखो  के इशारे से उसे पास बुलाते हुए एक लिफ़ाफा थमा खोलने को कहते  है .
आज वैकुंठ चतुर्दशी है ना ?  आज तुम्हारा जन्मदिन है,ईश्वर तुम्हें वो हर खुशी प्रदान करे जिसकी तुम हक़दार हो.जन्मदिन के अनेक आशीष के साथ वसियत  देख--."
                 " आज से तुम्हें  इस  गोकुलधाम एम्पायर की उत्तराधिकारी घोषित करता हूँ "-- आज मेरे घर भी तुम्हारे रुप मे एक बेटी का जन्म हुआ है ."
नयना(आरती)कानिटकर

इबादत -२

---- इबादत ---(प्रतियोगिता के लिये) -गागर मे सागर "सच्ची उपासना"
आँख खुलते ही गुलाब का फूल हाथों मे थमाते दादी ने कहा!!!--"जन्मदिन की शुभकामनाएँ और ढेरों आशीष,आज का दिन तुम्हारे जीवन मे अनेक सौगाते लाए एकदम अलग सा दिन हो तुम्हारा
।"
वाह पापा!!! आप मेरे लिये क्या उपहार लाये है और हमारा बर्थ डे केक कहाँ  है?
रेखा ने नयी  गुलाबी फ़्राक थमाते हुए कहा--रुकिये सलोनी!!!  पहले दैनिक कार्यो से निवृत हो स्नान कीजिए फिर हम सबसे पहले उस ईश्वर को धन्यवाद करने मंदिर जाएंगे जिसने इतना सुंदर तोहफ़ा तुम्हारे रुप मे हमे दिया है.
"वाह कितनी सुंदर फ़्राक."
"चलिये पापा,माँ,दादी मैं तैयार होकर आ गई हूँ
। जल्दी केक लाईये।"
"रुको बेटा !! आज पहले  केक  नही कटेगा। पहले गाड़ी मे बैठो हमे कही जाना है  फिर--"
ओह!! दादी अब मैं बड़ी हो गई हूँ पूरे ६ साल की फिर भी आप ठिक से कुछ नही बता रहे मुझे।"
गाड़ी एक अनाथ-विकलांग बच्चों के स्कूल के आगे रुकते ही--बच्चे द्वार तक आकर अपनी-अपनी क्षमता से गाने लगते है---"हैप्पी बर्थ डे टू यू--हैप्पी बर्थ डे टू यू".
सलोनी आनंद विभोर हो उठती है. मगर" पापा,दादी आप तो किसी मंदिर जाने की बात कर रहे थे."
बेटा!! इन बच्चों मे ही सच्चा ईश्वर वास है.इन बच्चों के चेहरे की खुशी को देखो। नियती ने इनसे कुछ ना कुछ छिन लिया,लेकिन हमारे जैसे परिपूर्ण लोग इन्हे ख़ुशियाँ बाटकर उस सर्वशक्तिमान की सच्ची उपासना (इबादत) कर सकते है
सलोनी -तोहफ़े से भरे बक्से से सुंदर-सुंदर उपहार निकाल उन्हे बाँटने लगती है


नयना(आरती) कानिटकर

2)गाड़ी एक अनाथ-विकलांग बच्चों के स्कूल के आगे रुकते ही--बच्चे हाथों मे फूल थामे द्वार तक आकर अपनी-अपनी क्षमता से गाने लगते है---"हैप्पी बर्थ डे टू यू--हैप्पी बर्थ डे टू यू".
सलोनी आनंद विभोर हो उठती है. " पापा,दादी !! मगर आप मेरे जन्मदिन के उपलक्ष्य मे  किसी मंदिर जाने की बात कर रहे थे."
ओह!! अब समझी  दादी !!!आपने सुबह आँख खुलते ही गुलाब का फूल हाथों मे थमाते हुए इसीलिए कहा!!!--"जन्मदिन की शुभकामनाएँ और ढेरों आशीष,आज का दिन तुम्हारे जीवन मे अनेक सौगाते लाए और एकदम अलग सा दिन हो तुम्हारा।"जी  हाँ बेटा!! इन बच्चों मे ही सच्चा ईश्वर वास है.इन बच्चों के चेहरे की खुशी को देखो। नियती ने इनसे कुछ ना कुछ छिन लिया,लेकिन हमारे जैसे परिपूर्ण लोग इन्हे ख़ुशियाँ बाटकर उस सर्वशक्तिमान की सच्ची उपासना (इबादत) कर सकते है सलोनी -पापा के लाए तोहफ़े से भरे बक्से से सुंदर-सुंदर उपहार निकाल उन्हे बाँटने लगती है
नयना(आरती) कानिटकर