बुधवार, 25 जुलाई 2012

मंद-मंद हवा का एक झोंका
अचानक आकर यू छू गया
दिल को मेरे बस बहला गया
यूं हौले से छू कर मन को
चुपके से कान में कह गया
जो आज है,वह कल नही होगा
वक्त हाथ से छुटने का गम नही होगा
पूरे कर अपने सपने निर्भयता से
वे आँसू कि बूँद बनकर ना रिसे
झोंके ने दिल का द्वार खडका दिया
एक खूबसूरत स्वप्न उभार दिया
बुरा वक्त भी बना सुंदर
संबल बढा दिल के अंदर
अब डर नही कुछ खोने का
बस विचारवंत कंचन होने का
अब सिर्फ
हुकूमत खुद पे करना होगी
सल्तनत दूनिया की मुठ्ठी में होगी