शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

"प्यासे रिश्ते"

" अरे अरे शबनम!!! उधर कहाँ भागी जा रही हो .गाड़ी तो इस तरफ़ पार्क की है। "-- मुश्ताक़ ने लगभग चिल्लाते हुए कहा ।
"अभी आती हूँ अब्बु !!देखिये वे बुज़ुुर्ग पानी की खाली बोतल थामे है,शायद उन्हें पानी चाहिये ,हम बस अभी आए । "
अरे!! लेकिन रुको यू दौड़कर सड़क ना पार करो,हम भी आते है."
तब तक शबनम वहाँ पहूच उनकी बोतल में अपना पानी उड़ेलने लगी ।
मुश्ताक़ के रोड क्रास कर वहाँ पहुँचते ही सामने अपने अम्मी-अब्बु को देखा और उसके कदम वहीं रुक गये----
आवाज़ हलक़ मे अटक गई और वह पसीने से बुरी तरह तरबतर ।
नयना(आरती)कानिटकर
०१/०१/२०१६