मंगलवार, 23 अगस्त 2016

ठोस रिश्ता---"भावनिक विवाह"

"ठोस रिश्ता"
"अरे रश्मि! तुम यहाँ - तुमने चेन्नई कब शिफ़्ट किया, मुझे बताया भी नहीं और हा! तुम बडी सुंदर लग रही हो इतनी बडी बिंदी- मंगलसुत्र में. ये तुम कब से पहनने लगी . तुम तो इन सबके खिलाफ़ थी."
" हा! हा! सब एक साथ ही पूछ लेगी क्या. चल सामने की  शाप  मे एक-एक कप कॉफी  पीते है"
"अब बता" विभा ने कहा
" तू तो जानती है मैने अनिश के साथ प्रेम विवाह किया था. मैने तो उसे दिल मे बसाया था तो मैं इन सब चीजों का प्रदर्शन ढकोसला मानती थी.  उसने  भी कभी कुछ नहीं कहा वो मेरी हर बात का मान रखता था. जिंदगी बडी खुबसुरत चल रही थी कि अचानक एक दिन अनिश  गश खाकर गिर पडा. उसका निदान मस्तिष्क की रक्त वाहिनियो मे थक्के के रूप में हुआ. अनेक प्रयत्नो के बाद भी मैं उसे बचा ना सकी."
"तू भी कितनी बेगैरत निकली दूसरा विवाह भी कर लिया." विभा ने कुछ नाराज़गी से कहा
"नही रे! बहुत बुरा समय गुजरा इस बीच . तू तो जानती थी मेरे ससुराल वाले लोगो को मुझ पर देवर से शादी का दबाव...फिर मैं अपना तबादला लेकर यहाँ आ गई. लेकिन यहाँ भी भेडिये कम ना थे."
"फ़िर.." विभा ने पूछा
"फिर क्या मैने अनिश की आत्मा से विवाह रचा लिया और धारण करली ये भावनाएँ"

नयना(आरती)कानिटकर
भोपाल
२३/०८/२०१६