शनिवार, 14 मई 2016

बसंत आया बसंत आया / सार छंद

बसंत आया बसंत आया, रंग कितने लाया
लाल पिला हरा व सिंदूरी, रंगाई है काया

बसंत आया बसंत आया, रंग देवरा लाया
मन रंगे थे पहले सबके, अब रंगाते  काया

बसंत आया बसंत आया, चटक रंग अब डालो
जीवन एक महकती बगिया, फाग अब तुम गालो

बसंत आया बसंत आया, देखो टेसू फूले
लिख देती कुदरत पहले, टहनी केसर झुले

बसंत आया बसंत आया, फूले गेहूँ बाली
पीत पीत स्वर्णिम भंडार, अमलतास की डाली

बसंत आया बसंत आया, भीगी  होली खेले
छोडो दुनिया की चिंता, दूर करो मन मैले

मौलिक एवं अप्रकाशित