शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

"खरीददार"

अवध सिंग ने जब कोठे मे प्रवेश किया तो सारा कमरा शराब की गंध से भर उठा.
वह  अवध को लगभग खिंचते उसे दूसरे कमरे मे ले जाने लगी. तभी उसकी नजर
"अरे!!! ये ये कौन चम्पाकली है तेरे संग. आज तू इसे मुझे सौंप दे. वैसे भी तू अब सूखा फूल---"
"नागिन की तरह फ़ूफ़कार उठी कमला.मजबूरी मे बिकी थी मैं."
"तू!!! मेरी बेटी का खरीददार नहीं हो सकता."
उसे बाहर ठैल भडाक से दरवाज़ा बंद कर लिया.
नयना(आरती) कानिटकर
२७/११/२०१५

"नीला आकाश"

सुन्दर वस्तुओ के प्रदर्शनी के एक स्टॉल पर एक हिरे-मोती का व्यापारी और एक सोने का व्यापारी आ पहुँचते है। दोनो भिन्न-भिन्न चीज़े देखते तभी उनकी नजर एक कोने मे पिंजरे मे रखी सफ़ेद मैना पर जाती है,दोनो का मन मोह उठता है उसपर।
" भाई तुम बाकी चीज़े तो रहने दो मुझे ये सफ़ेद मैना बेच दो मैं इसे रोज मोती के दाने चूगाऊँगा।"
"तुम इन्हे छोड़ मुझे बेच दो मैं इसके लिये सोने का पिंजरा बनवा दूँगा ये इस लोहे के पिंजरे मे शोभा नही देती।"
दोनो व्यापारी ही आपस मे उलझ पड़ते है उसे ख़रीदने को.
"नहीं-नहीं मैं इसे नहीं बेच सकता ये तो मेरी जान है।" इसे बेचकर मे------
दोनो बहुत दबाव डालते है उस पर मैना को बेच देने के लिये।
हार कर वो कहता है --"ये मैना इंसानी भाषा जानती व बोलती है।एक काम करता हूँ इसका पिंजरा खोल देता हूँ,ये जिसके भी कांधे पर बैठेगी ,उसी की हो जायेगी।
पिंजरा खुलते ही मैना फ़ुर्र्र्र्र्र्र्र से उड जाती है--"मुझे ना तो मोती चाहिए ना सोने का पिंजरा।"
" वो देखो नीला आकाश बाहे फ़ैलाए मेरा इंतजार कर रहा है।"
नयना(आरती) कानिटकर
२७/११/२०१५



मुझे जीने दो-विषयआधारित

अस्पताल पहूँचते ही  हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा,कही इस बार भी डाक्टर ने लड़की---
" तभी नर्स ने आवाज़ लगाई सुगंधा!!!--आइए"
जाँच के लिये डाक्टर ने जैसे ही स्टैथौस्कोप लगाया. अंदर से आवाज़ आई-"मुझे जीने दो" "मुझे जीने दो"
 डाक्टर ने इस बार स्टैथौस्कोप का डायफ़्राम पेट पर रख ईयरटिप मेरे कानों मे लगा दी थी.फिर आवाज़ गुंजी"मुझे बचा लो माँSSSS "प्लीज़ "मुझे जीने दो".मेरा शरीर बुरी तरह थरथर कांपने लगा.
 पसीने से तरबतर  डाक्टर के हाथों से स्टैथौस्कोप नीचे गिर गया और वे धम्म से कुर्सी मे समा गई.
नयना(आरती) कानिटकर
२७/११/२०१५