बुधवार, 2 मार्च 2016

"हस्ताक्षर"


पूरा घर गेंदे के फूलों की महक और छोटे-छोटे बल्ब की लडियों से दिप-दिप कर रहा था। हँसी-ठिठौली से सारा वातावरण आनंदमय था। वह भी अपनी सबसे अच्छी साड़ी निकाल हाथों से सिलवटो को दूर कर पहन के आईने के सामने...दंगो मे अगर सब कुछ ना लूटा होता तो...।
श्रेया के विवाह का अवसर और ...बीना उपहार शादी मे आना...मगर परिस्थितियाँ...।
" श्रीलेखा! चलो जल्दी बारात आने वाली है और हा! ये लो गहने एकदम खरे सोने के समान दिखते है. पहन लो जल्दी से आखिर बिरादरी मे हमारा भी कोई रुतबा...।"
" आपका...बस कुछ दिनों की बात है भैया। व्यवसाय  सम्हलते ही ...।"
"बारात घर के दरवाज़े तक ..." बस बहना जल्दी से इन कागज़ात पर हस्ताक्षर कर  आ जाइए।"
"बारात के स्वागत मे बुआ का सबसे आगे होना जरुरी है।"

नयना(आरती)कानिटकर
भोपाल.