रविवार, 18 मार्च 2012

?? हुँ

चली कभी मैं तेज गती से,
कभी मद्दम सी चाल हूँ.
रही सदा ही व्यक्त  सी,
कभी मौन सी आवाज़ हूँ.
किया कभी पार क्षितीज भी,
कभी-कभी बस पाताल हूँ.
कुरीतियों का शंखनाद कभी,
कभी चुप्पी सा अवसाद हूँ.
हँसकर जीने का अंदाज़ कभी,
कभी आँसू का सैलाब हूँ.
मैं क्या हूँ-------
मैं क्या हूँ????????

बुधवार, 7 मार्च 2012

होली

आओ सबको प्यार का
सप्तरंगी रंग चढाए
प्रेम के गुलाल से
खुशियाँ हम खूब मनाए
  आओ होली मनाए
अपनत्व के गुलाल से
सबको हम खूब रंगाए
चाहे कोइ करे इंकार
एक बार फिर प्यार लुटाए
   आओ होली मनाए
नफरत को दूर भगा
प्रेम का ऎसा रंग चढाए
बुराई को मिलकर जला
सबको फिर गले लगाए 
  आओ होली मनाए