बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

परम्पराए और वैज्ञानिक आधार- और वैज्ञानिक आधार---2(i)

परम्पराए और वैज्ञानिक आधार---२(i)
नवरात्र पूजन

"माँ!-माँ ! अरे दादी!-दादी!  की पुकार लगाते हुए अमृता  जैसे ही पूजा घर मे प्रवेश करती है. माँ और दादी नवरात्रि की पूजा कि तैयारी मे लगे हुए थे.दादी उसे हाथ-मुँह धो कर हमारी मदद के लिये आओ ऐसा आदेश देती है।
    "दादी जब देखो तब आप कुछ ना कुछ पूजा और परंपरा के नाम पर हमे काम के आदेश देती रहती हो."ओह! नो  दादी ! आप भी ना अमृता झल्लाते हुए बुरा सा मुँह बनाकर दादी से कहती है
"अरे चुपकर, पहले मेरी बात सुन " दादी का आदेशात्मक स्वर 

"अब आप ही बताओ नवरात्रि मे घट पूजा करने से क्या होगा,और ये जंवारे इस पर किसलिये बोये जाते है ? इससे क्या होगा , इससे  भला भगवान कैसे ख़ुश होगें?"

दादी अमृता के प्रश्नों कि बौंछारो से अनुत्तरित हो जाती है---सिर पर हाथ मारकर कहती है तुम आजकल के बच्चे कुछ सुनने को तैयार ही नही होते |
           लेकिन बताओ ना माँ , दादी ये सब क्यो करना होता है। तब माँ प्यार से उसे अपने पास बैठाती है कहती है ध्यान से सुनो ---------

            हमारे धर्म और संस्कृति मे हर चीज का अपना महत्व है । हम समयानुसार प्रकृति प्रदत्त हर चीज़ो को महत्व देते हुए पूजते है जो हमारे जीवन प्रवाह के लिये अनमोल है। उसी प्रकार इस "घट स्थापना" के पिछे भी एक वैज्ञानिक आधार है.

      बेटा इन दिनो खरीफ़ की फसल आ चुकी है.रबी के फसल कि तैयारियाँ चल रही है.इन खरीफ़ और रबी की फसल के बारे मे तुम्हें बाद मे बताऊंगी अभी तो "घट स्थापना" का महत्व सुनो---असल मे वर्षा ऋतु के बाद धरती मे मे जल का स्तर इस वक्त उच्चांक बिन्दू पर होता है। यह जल या पानी हमे अक्षय तृतीया (सधारणत: जेठ मास) तक चलना होता है .घट स्थापना के वक्त उस घट  मे भी पानी होता है वास्तव मे यह उस जल की भी पूजा है..घट शब्द का अर्थ हम ’उदर’ से भी लगा सकते है .धरती मे संचित पानी से हमे आगे का जीवन निर्वाह करना है,यही धरती का उदर रबी कि फ़सल तैयार करेगा,नवांकुर पैदा होगें नई फ़सल आएगी।

      यही पूजा प्रतीकात्मक है माँ के महत्व की.। माँ भी तो सृष्टि की  रचयीता है इसलिये नवरात्रि मे माँ के शक्ति की पूजा होती है और रही घट मे जंवारे बोने कि बात तो सुनो यह तो एक प्रकार का बीज परीक्षण है।आज तो अनेक उन्नत  विधियाँ है बीज परीक्षण की लेकिन दशकों पहले विज्ञान इतना उन्नत नही था।

  यही "आदि शक्ति" धरती माँ हमे अपने निर्वाह के लिये अन्न और पानी देगी ये उस माँ का नमन हे बेटा!
अब रही बात जप-तप और उपवास कि उसका वैज्ञानिक  कारण कल तुम्हें बताती हूँ

       अमृता आश्चर्य से माँ को देख रही थी और बडे ध्यान से सुन भी रही थी इस पूजा के महत्व को लेकिन एक प्रश्न से अभी भी अनुत्तरित थी  कि इतनी महत्वपूर्ण  पूजा करते हुए भी आज हम स्त्री शक्ति कि अवहेलना क्यों करते है। एक तरफ़ ९ दिनो तक माँ की पूजा करते है और दूसरी तरफ़ कन्या भ्रूण हत्या.

  काश: अमृता के मन मे उठते प्रश्नों का उत्तर उसकी माँ दे पाये.

नयना(आरती) कानिटकर