ये कैसा आघात हुआ है
देश के साथ घात हुआ है
युवा देश का सो चुका है
नियत,हिम्मत खो चुका है
सालो से देश कहने को स्वतंत्र
आज नेताओ के हाथ परतंत्र है
ॠषि मुनी की तपोभूमी में
मिलावट के फूल है
भ्रष्टाचार की चहू और दलदल
महंगाई की फैली धूल है
बुनीयादी ढाँचा ध्वस्त हुआ है
आदमी आदमी से त्रस्त हुआ है
शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है
पापी पेट के लिये समझलो
गुरु देश का बिका हुआ है
नेताओ ने हाथ साफ किया है
देश को यु बरबाद किया है
६५ वर्ष की उम्र में माँ को
गहरा ह्रदयाघात हुआ है
न्यायिक सेवा की धमनी मे
रक्त बहाव कम हुआ है
प्रशासन की धमनी मे
भ्रष्टाचार है भरा हुआ
रक्त संचार का मार्ग ह्रदय तक
पूर्ण रुप से है रुका हुआ
लेकिन अब
हमें भी कुछ करना होगा
अपने खातिर उठना होगा
भंगूर होते देश के खातिर
फिर एक जुट हो लडना होगा
धून सी लगती भ्रष्टाचरी
कब तक सहें ये मक्कारी
फिर अब खून उबलना होगा
देश कि खातिर लडना होगा
सर्वाधिकार सुरक्षित-----मौलिक रचना
देश के साथ घात हुआ है
युवा देश का सो चुका है
नियत,हिम्मत खो चुका है
सालो से देश कहने को स्वतंत्र
आज नेताओ के हाथ परतंत्र है
ॠषि मुनी की तपोभूमी में
मिलावट के फूल है
भ्रष्टाचार की चहू और दलदल
महंगाई की फैली धूल है
बुनीयादी ढाँचा ध्वस्त हुआ है
आदमी आदमी से त्रस्त हुआ है
शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है
पापी पेट के लिये समझलो
गुरु देश का बिका हुआ है
नेताओ ने हाथ साफ किया है
देश को यु बरबाद किया है
६५ वर्ष की उम्र में माँ को
गहरा ह्रदयाघात हुआ है
न्यायिक सेवा की धमनी मे
रक्त बहाव कम हुआ है
प्रशासन की धमनी मे
भ्रष्टाचार है भरा हुआ
रक्त संचार का मार्ग ह्रदय तक
पूर्ण रुप से है रुका हुआ
लेकिन अब
हमें भी कुछ करना होगा
अपने खातिर उठना होगा
भंगूर होते देश के खातिर
फिर एक जुट हो लडना होगा
धून सी लगती भ्रष्टाचरी
कब तक सहें ये मक्कारी
फिर अब खून उबलना होगा
देश कि खातिर लडना होगा
सर्वाधिकार सुरक्षित-----मौलिक रचना