बुधवार, 8 नवंबर 2017

"नया त्यौहार"

तीन साल का चीनू बाहर आँगन मे खेल रहा था .रसोई से आती शुद्ध घी कि खुशबू से मचल कर दौड़ते हुए अंदर आया.
---दादीSSS दादीSSS आप क्या बना रही है --जलेबी!!!!! वाह!  दादी के गले मे खुशी से झुमते हुए लटक गया
"अरे! अरे! मेरा गला छोडो वरना तुम्हें जलेबी नहीं मिलेगी"--दादी ने उसके हाथों की कसावट को ढिला करते हुए कहा
"आज कौन सा त्यौहार है दादी?? क्या आज दिवाली है?"
"हा बेटा आज तो दिवाली से भी बडा त्यौहार है--स्वतंत्रता  दिवस का आज ही के दिन तो हमारा देश आज़ाद  हुआ था. आज हम  दिवाली कि तरह ढेरों दीपक जलाएगे.मिठाईयाँ खाएगे ," दादी उत्साहित होते हुए बोली
"हुर्रे! तो क्या आज हम फ़टाखे भी चलाएँगे." चीनू खुशी से झूम उठा

" नही बेटे! आज बहुत बडे आनंदोत्सव का दिन है .आज हम शांति के प्रतीक शुभ वस्त्र पहन कर तिरंगा फहराकर उसकी पूजा करेंगे और भगवान के श्लोक पठन के स्थान पर राष्ट्रीय गीत गायेगे.

मात्र ३ वर्ष का चीनू दादी कि बात समझ ही नही पाया .वो तो खुश था कि आज घर मे त्यौहार है. माँ-पिताजी भी घर पर है. आज कुछ नये ढंग से त्यौहार मनाना है.
दादी आज एक प्रण ले चुकी थी कि आज से चीनू को रात को सोते वक्त राजा-रानी कि कहानियों के साथ-साथ देशभक्तो की कहाँनिया भी सुनाएगी .जिससे वह  इस देश के लिये प्राण न्यौछावर करने वालो के प्रति श्रद्धावान बन सके.
नयना(आरती)कानिटकर