शुक्रवार, 4 मार्च 2011

आओ बात करे

आओ कुछ बात करे

अपने मन के द्वार को खोंल

अहंम कि श्रृंखला को तोड़

मौन को पिले पात सा तोड़

आओ कुछ बात करे

अंधेरे बादल को पिछे छोड

गम से तुरंत नाता तोड़

खुद को सूरज कि किरनो से जोड

आओ कुछ बात करे

कुछ नाता गली से जोड

अकेलेपन को कोलहल से जोड

मन को सडक के शोर से जोड

आओ कुछ बत करे

दुसरे के दर्द का अमॄत पीकर

अनागत के नए सपने बुनकर

मन के बंद दरवाजे खोलकर

आओ खुछ बात करे

आओ कुछ बात करे