तुम भी चलो
रेत में छपे मेरे पदचिन्हों पर
उन पर तो चली हूँ मैं जन्मों से
अब उभरकर आई है
उन पर तो चली हूँ मैं जन्मों से
अब उभरकर आई है
जिनमें
वे किरचें दरारों सी
जो मेरे दिमाग से निकल
मेरे हृदय से गुजरते
फिर ठिठक गई है
पैरों के तलवे में जाकर
जख्मों की तरह
तुम , तुम तो
पहले ही भर देना उन
दरारों को
दरारों को
बालू से निकले उन
यूरेनियम के कणों से
जो शृंखला बनाकर
भर दे तुममें
एक अथांग ऊर्जा
और गर वक्त आ जाए कभी
अनियंत्रित अवस्था का
तो कर देना उसका
विखंडन ...
विस्फोटक के रुप में
©नयना(आरती)कानिटकर
३०/०७/२०२०
यूरेनियम के कणों से
जो शृंखला बनाकर
भर दे तुममें
एक अथांग ऊर्जा
और गर वक्त आ जाए कभी
अनियंत्रित अवस्था का
तो कर देना उसका
विखंडन ...
विस्फोटक के रुप में
©नयना(आरती)कानिटकर
३०/०७/२०२०