सोमवार, 21 सितंबर 2015

----नियती--


रुपकुँवर की उम्र मात्र १५-१६ बरस की है.उसके रुप-सौंदर्य का डंका चारों ओर बज रहा है.
कोमल मना नृत्य-संगीत की शिक्षा मे भी पारंगत हो चूँकि है.
  तभी केसर बाई घोषणा करती  है कि आज से ठिक १५ दिन बाद हमारे विधिवत विधान के अनुसार रुपकुँवर को--------.
वो दिन आ पहुँचता है और रुपकुँवर को विधीवत संस्कार कर "-----" के पास पहुँचा दिया जाता है.
       इधर केसर बाई की रात भी आँखो मे गुज़र जाती है कि तभी.
अचानक कोमल मना रुपकुँवर भाग कर आती है और केसर बाई की गोद मे समा कर फूट-फूट कर रोने लगती है.रोते-रोते बोलती जाती है---
   केसर बाई उसकी बाते सुनते हुए उसे जी भर-भरकर रोने देती है.
अपनी गोद से हौले से उसका सिर उठाकर कहती है ,मजबूत हो जा मेरी जान हमारी नियती यही है "रात गयी- बात गयी."