गुरुवार, 31 मार्च 2011

नानाजी का पत्र अपने नाती को शुभकामनओं के साथ आशीर्वाद से भरा

प्रिय अभिषेक(नन्दन),
अनेको आशिर्वाद,
यह सुखद समाचार सुनकर खुशी हुई कि तुम internship करने जर्मनी जा रहे हो.मुझे वह दिन यद आया जब तुम अपनी शिक्षा के लिये आई-आई-टी पवई ज रहे थे तब रेल्वे स्थानक पर हम सब तुम्हें विदा करने आये थे तब तुम नयना-सुरेश के पुत्र, अभिलषा के भाई,अपने मित्रो का सहपाठी तो थे हि साथ ही भोपाल के अपने पडौसियो के भोपली भी थे। अब जब तुम जर्मनी जा रहे हो तो उपरोक्त तो
हो ही परन्तु अब तुम सर्वप्रथम भारतमाता के नागरिक वैदिक धर्म के मानने वाले समाज के प्रतिनिधी
भी हो.तुम्हे अब सर्वग्य होना चाहिये.कोई भी सुकर्म करते वक्त अपने आप में कमी महसूस न हो
अर्थात परशुराम के समान क्षात्र तेजवैश्य के समान अर्थशास्त्री व शुद्र के समान सेवाभावी भी होना चाहिये ये सभी गुण लेकर तुम जर्मनी ज रहे हो वहाँ तुम्हें अपना श्रेठत्व सिद्ध करना है.भारत कभी विश्वगुरु था उसे वह स्थान पुन: दिलाना है.
जर्मनी के विद्वान मक्समुलर जब भारत मे क्रिशचन धर्म के प्रचार के लिये आये थे तब उन्होने सर्वप्रथम संस्कृत भाषा का अभ्यास किया तथा अपने वेदो को जर्मन भाषा में अनुवादित करके सम्पुर्ण
विश्व के सामने रखा तथा वेदो को श्रेष्ठ बताया.उन्होने भारत से अनेक संस्कॄत ग्रंथो को जर्मनी मे ले जाकर उनसे ग्यान प्राप्त कर अनेको शोध लगाए .तुम जिस रसायनशास्त्र के अध्ययन के लिये जा रहे हो उस रसायनशास्त्र क मूल अपने अथर्ववेद में हे यह बात ध्यान रखना। जर्मनीमे तुम मुश्किल से ९० दिन रहोगे किन्तु उस कालावधि मे तुम्हें अनेको अच्छे-बुरे अनुभव आऎगे,प्रलोभन भी मिलेगे,अनेको कुमार्ग सुझाए जाएगे किन्तु पहले इन सब का मनन कर अपना मत तुम्हे बनाना होगा. आज तुम उस मोड पर खडे हो जहाँ से तुम्हारे माता-पिता,कुटुंबियो,समाज तथा धर्म ने जो संस्कार दिये हे उसकि परीक्षा होने वाली है.इस परीक्षा मे उत्तीर्ण होकर एक सुविग्य भारतीय बनकर वापसी कि प्रतिक्षा हम करेगें. पर्यटन से जीवन मे अनुभवों का पिटारा मिलता हे अत: जब भी वक्त मिले आसपास के देश -रोम ,इटली,फ्रान्स आदि देखने का प्रयत्न करना.आर्थिक मदद तुम्हें मिलेगी ही. जर्मनी मे तुम्हें भाषा कि समस्या आ सकती हे यह मैं अपने अनुभव से बता रहा हुँ.मै सिर्फ १०वी पास करके केरल मे ट्रेनिंग के लिये गया था तब मुझे सिर्फ मराठी,हिन्दी आता था अंग्रेजी समझता तो था किन्तु फर्राटेदार बोल नहि पाता था और समझ भी नहि पाता था.शुरुआत मे बडी तकलीफ उठानी पडी लेकिन जल्द ही मलयाली सीख गया .वैसे अब तो जर्मनी मे अंग्रेजी के जानकार बहुत होगे फिर भी वहाँ सब व्यवहार जर्मनी मे होते हे ऎसा ग्यात हुआ हे
तुम भी जर्मनी सिखने कि कोशिश करना यह एक additional qualification होगा.आजकल दूरभाष के महाजाल से तुम्हे अच्छी सुविधा हे अपनो के सम्पर्क मे रहने की फिर भि अपनी प्रकृति को सम्हालना.लिखने को बहुत हे लेकिन अब बस.हमारे आशिर्वाद तुम्हारे साथ है।
जय हिन्द-जय भारत
सिर्फ तुम्हारा नाना