रविवार, 13 अगस्त 2017

ओ.बी.ओ-महाउत्सव

एक गीत प्रयास----

गूँज उठी  पावस  की धुन      
सर-सर-सर, सर-सर-सर

आसंमा से आंगन में उतरी
छिटक-छिटक बरखा बौछार
चहूँ फैला माटी की खूशबू
संग थिरक रही है डार-डार
गूँज उठी  पावस  की धुन    
सर-सर-सर, सर-सर-सर  

उमगते अंकुर धरा खोलकर
हवा में उठी पत्तो की करतल
बादल रच रहे गीत मल्हार
हर्षित मन से  झुमता ताल
 गूँज उठी  पावस  की धुन    
सर-सर-सर, सर-सर-सर    

गरजते बादल, बरखा की भोर
बूँदों  की  रिमझिम  रिमझिम
पपिहे की पीहू, कोयल का शोर
आस मिलन जुगनू सी टिमटिम
गूँज उठी  पावस  की धुन    
सर-सर-सर, सर-सर-सर

मौलिक व अप्रकाशित