शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

व्रत

 ज्योत्सना -अपनी बचपन की सहेली को अचानक सामने पाकर--
 "अरे!! निशा तुम यहाँ कैसे?"
"ओह जोतू!! तू उउउ -- खुशी के मारे चिल्ला पड़ती है।
 "निशा! चल देख वो सामने ही घर है मेरा . घर चल के बात करेंगे.हाथ खिचते ज्योत्सना उसे घर ले आयी।
 "अरे जोतू!! पहले ये बता तेरे बेटा-बेटी कैसे है।
"चल!! तुझे अपनी बेटी से मिलवती हूँ---वो घर मे ही एक प्रशिक्षण वर्ग चलाती है.
" वो देख!! -ये जो सफ़ेद परिधान मे जो तलवार बाजी सिखा रही है ना वो मेरी बेटी "ज्योतिका"।
"ओह!!"
"असल मे गाँव मे हुए एक आतंकवादी हमले मे अपने भाई,संबंधियों,परिचितों को खोने के बाद,इसने अपने व आस पडौस के गाँवों की स्त्रीयो  को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का बिडा उठाया है।"
               "अब यही इसका व्रत है।"