शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

हायकू

 चाँद चाहता
धरणी से मिलाप
छाया कोहरा   (१)

तारे आतुर
उतरने धरा पर
छाया कोहरा(२)

बाँट जोहती
धरती सूरज की
छटे कोहरा(३)

सूरज आया
है धरा सम्मोहित
छटा कोहरा(४)

ऋतु बसंत
नाचे सुरताल में
हटा कोहरा(५)

मौलिक एंव अप्रकाशित

कोहरा -कुहासा (अतुकान्त)

 कोहरा -कुहासा (अतुकान्त)


मैं ढुंढती हूँ तुम्हें
टेबल पर, फाइलों में
किताबों से अटी
अलमारी के खानो में भी
कभी गाड़ी मे बैठे-बैठे
पास की सीट पर,तो कभी
बाजार मे हाथ मे लटकाए झोले संग
कभी-कभी तो
अमरुद की फाँक मे भी कि
खाएंगे संग
चटपटे मसाले के साथ और
झुमेंगे पेड़ो के झुरमुट मे,
पक्षियों के कलरव के बीच
फिर भिगेंगे प्यार की ओंस मे
छुपते-छुपाते नज़रों से और
धो डालेंगे रिश्तों पर छाया कोहरा
नदी किनारे के कुहांसे में,
एकसार होकर

"नयना"

मौलिक और अप्रकाशित