तुम मृगनयनि तुम सुर लहरी
तुम उल्लास भरी सी आई हो
भरे हुए सुनेपन मे तुम
मेरा अभिमान भरी सी आई हो
आज ह्रदय मे बस गयी हो
तुम असीम उन्माद लिये
ह्न्सने और ह्साने को
तुम हसती- हसती आई हो
तुम मे लय होकर अभिलाषा
एक बार सकार बनी
तुम सुख का संसार लिये
आज ह्रदय मे आई हो
बरस पडी हो मेरी धरा पे
तुम सहसा रस धार बनी
मंथर गति मे मेरे जीवन के
रंग भरने तुम आई हो
तुम क्या जानो मेरे मन में
कितने युग कि हे प्यास भरी
एक सहज सुन्दर साथ लिये
अमॄत बरसाने तुम आई हो
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