. बहुत तेज बारिश मे अपनी संगिनी संग छाता थामे सेना निवृत सैन्य अधिकारी को इंतजार था अपने पोते आयुश्यमान के कोफ़िन (शव पेटी) का जो सेना के विशिष्ठ विमान से लाई जा रही थी .
अपने बेटे की शहादत भी वो देख चूँके थे ऐसे मे उनकी सारी जिंदगी सिर्फ़ आयुष्यमान के इर्दगिर्द सिमट गई थी. उनका पोता भी भारत माता की रक्षा के ख़ातिर सीमा पर तैनात था.जो पहाड़ियों पर एक अभियान मे शहीद हो गया. ये उनकी तीसरी पीढी थी जो देश सेवा करते हुए शहादत को प्राप्त हुई. भरी बारिश मे सेना उनके पोते को अंतिम सलामी दे रही थी
नीली छतरी वाला भी भर-भर आँसू बहा शायद श्रद्धांजलि दे रहा था.ये हादसा उनके पोते के साथ नही उनके साथ हुआ था. हादसे मे वो नही मरा ये मर गये थे अंदर तक.
सज्जनसिंग छाती पर हाथ थामे अधीर हो रहे थे उस मंजर को देख मगर पथाराई सी सुहासिनी ने उनका हाथ थाम रख था मज़बूती से पुन:जिंदगी की आस मे.
नयना(आरती) कानिटकर.
अपने बेटे की शहादत भी वो देख चूँके थे ऐसे मे उनकी सारी जिंदगी सिर्फ़ आयुष्यमान के इर्दगिर्द सिमट गई थी. उनका पोता भी भारत माता की रक्षा के ख़ातिर सीमा पर तैनात था.जो पहाड़ियों पर एक अभियान मे शहीद हो गया. ये उनकी तीसरी पीढी थी जो देश सेवा करते हुए शहादत को प्राप्त हुई. भरी बारिश मे सेना उनके पोते को अंतिम सलामी दे रही थी
नीली छतरी वाला भी भर-भर आँसू बहा शायद श्रद्धांजलि दे रहा था.ये हादसा उनके पोते के साथ नही उनके साथ हुआ था. हादसे मे वो नही मरा ये मर गये थे अंदर तक.
सज्जनसिंग छाती पर हाथ थामे अधीर हो रहे थे उस मंजर को देख मगर पथाराई सी सुहासिनी ने उनका हाथ थाम रख था मज़बूती से पुन:जिंदगी की आस मे.
नयना(आरती) कानिटकर.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें