*अकर्मण्यहीन*
हल्के में लेती
रहती हैं, वो अपनी
हारी-बिमारी को
It's ok यार
उम्र का तकाजा है
डरती है
बिस्तर पर देख उसे
कि कही
रोटी का साथ भी ना
छूठ जाए और
वो
बस तकता रहता हैं
भावना शून्य होकर
इंतजार में कि
शायद
कल दिखे बिस्तर सिमटा
थाली भोजन से भरी
"नयना"
19/07/2020
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