आने वाले महिला दिवस के लिये विशेष
मै भारत की नरी शक्ति
घर की चौखट से बोल रही हूँ
दबे जो दर्द सीने मे मेरे
सबके आगे खोल रही हूँ
घर और समाज के बीच
अपने आप को तौल रही हूँ,
मै भारत की----
वादे तुमने बहूत किये है
चाँद-तारे तोड लाने के
मेरे अरमानो को हरदम
हथेली पर सहलाने के
उपर से मै हरी-भरी हूँ
घर-घर मे सौ बार मरी हूँ
मै भारत -----
सोचा था इतिहास लिखूँगी
कुरीतियो से हरदम लडूगी
लेकिन मेरी हिम्मत का गला
घर-घर मे सबने घोट दिया है
कुरीतियो के संग जीने को
दूनिया ने मजबूर किया है
मै भारत की----
अपनी पीडा कभी ना बताई
हँसकर एक-एक ईंट चुनाई
सफलता पर कभी ना इठलाई
फिर हरदम क्यो मूँह दिखलाई
मै भारत की-----
रोशनी की चाह मे हरदम
दूर किया घर का अंधेरा
छोड दिया अमृत का प्याला
हरदम पिया जहर कसैला
मै भारत की-
स्त्रीत्व मे मातृत्व का अभिमान
चुनकर ब्रम्हा ने दिया वरदान
किन्तु आज इस कोख पर
ये कैसा आघात हुआ है
अस्तित्व के साथ इस पर
ये कैसा प्रतिघात हुआ है
मै भारत की-----
जाने कब एहसास ये होगा
स्थान मेरा भी खास होगा
जाने कब जीवन व्यर्थ ना होगा
इस जीवन का कुछ अर्थ भी होगा
मै भारत की-----
लेकिन
चाहे अब पथ संकीर्ण हो मेरा
सत्य-पथ मे पथिक साथ ना हो मेरा
देनी पडे चाहे कोई परीक्षा
या फिर हो अग्नि का घेरा
इतिहास मे अब मेरी कहनी
स्त्री ही कहेगी स्त्री की जुबानी
मै भारत की नारी शक्ति
------------------------- continue
मै भारत की नरी शक्ति
घर की चौखट से बोल रही हूँ
दबे जो दर्द सीने मे मेरे
सबके आगे खोल रही हूँ
घर और समाज के बीच
अपने आप को तौल रही हूँ,
मै भारत की----
वादे तुमने बहूत किये है
चाँद-तारे तोड लाने के
मेरे अरमानो को हरदम
हथेली पर सहलाने के
उपर से मै हरी-भरी हूँ
घर-घर मे सौ बार मरी हूँ
मै भारत -----
सोचा था इतिहास लिखूँगी
कुरीतियो से हरदम लडूगी
लेकिन मेरी हिम्मत का गला
घर-घर मे सबने घोट दिया है
कुरीतियो के संग जीने को
दूनिया ने मजबूर किया है
मै भारत की----
अपनी पीडा कभी ना बताई
हँसकर एक-एक ईंट चुनाई
सफलता पर कभी ना इठलाई
फिर हरदम क्यो मूँह दिखलाई
मै भारत की-----
रोशनी की चाह मे हरदम
दूर किया घर का अंधेरा
छोड दिया अमृत का प्याला
हरदम पिया जहर कसैला
मै भारत की-
स्त्रीत्व मे मातृत्व का अभिमान
चुनकर ब्रम्हा ने दिया वरदान
किन्तु आज इस कोख पर
ये कैसा आघात हुआ है
अस्तित्व के साथ इस पर
ये कैसा प्रतिघात हुआ है
मै भारत की-----
जाने कब एहसास ये होगा
स्थान मेरा भी खास होगा
जाने कब जीवन व्यर्थ ना होगा
इस जीवन का कुछ अर्थ भी होगा
मै भारत की-----
लेकिन
चाहे अब पथ संकीर्ण हो मेरा
सत्य-पथ मे पथिक साथ ना हो मेरा
देनी पडे चाहे कोई परीक्षा
या फिर हो अग्नि का घेरा
इतिहास मे अब मेरी कहनी
स्त्री ही कहेगी स्त्री की जुबानी
मै भारत की नारी शक्ति
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