हे सर्व शक्तिमान !!
मुझमे इतनी शक्ति भर दो---
कि जब भरू बरसात का जल
अपनी अंजूली मे और
लगाऊँ उसे अपने लबो पर
मन की प्यास बुझाने के लिये
तो उसकी
एक बूँदभी ना रिसे
ना व्यर्थ जाये
वो बूँद हौले से धरती कि गोद मे समाएँ
नदी बन नाचे, गाऎ इठलाए
चरो और हरियली का आँचल फैलाये
बुझे धरती कि तृष्णा
नाचे उसका का मन मयूर
जैसे राधा संग श्रीकृष्णा
मुझमे इतनी शक्ति भर दो---
कि जब भरू बरसात का जल
अपनी अंजूली मे और
लगाऊँ उसे अपने लबो पर
मन की प्यास बुझाने के लिये
तो उसकी
एक बूँदभी ना रिसे
ना व्यर्थ जाये
वो बूँद हौले से धरती कि गोद मे समाएँ
नदी बन नाचे, गाऎ इठलाए
चरो और हरियली का आँचल फैलाये
बुझे धरती कि तृष्णा
नाचे उसका का मन मयूर
जैसे राधा संग श्रीकृष्णा
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