बुखार में तप रही सुधा ने खाट पर बैठे-बैठे ही "बुढ़िया के बालों" (कैंडी) के पैकेट तैयार किये और भोलु को आवाज़ लगाई।
भोलू !!!! ले आज तू इसे बेच आ बेटा!!,वरना रात का चुल्हा नही जलेगा।"
"माँ लेकिन मेरा स्कूल???? ---चल आज मैं जाता हूँ पर तू आराम करियो (करना) घर पर।."
काश आज बापू जिंदा होते तो।
सारा दिन घूप मे घुमकर "बुढ़िया के बाल" (कैंडी) बेचते-बेचते भूखा-प्यासा हो वह एक चौराहे पर थोड़ा सुस्ताने बैठ जाता है। थकान से कब आँख लग जाती है पता ही नही चल पाता।
तभी एक सुंदर सी परी------
"भोलू बेटा!!! उठो ये देखो मैं तुम्हारे लिये क्या लाई हूँ । ये लो पहले कुछ खा लो और देखो ये रही तुम्हारी क़िताबें,चलो शाम होने वाली है मैं तुम्हें माँ के पास छोड आऊँ। चलो उठो जल्दी!!
"अरे!!! मैं कहाँ आ गया ? "
"माँ!!! कहाँ हो ? हमारा घर और माँ तुम्हारा बुखार!! तुम ठिक तो होना????
तभी एक दरोगा आकर उसके पुठ्ठे पर धौल जमाकर कहता है--
"चल उठ !!बे क्या अपने बाप की जगह समझ रखी है । इसकी औकात तो देखो जो यहाँ सोकर सपने देख रहा है ।
भोलू !!!! ले आज तू इसे बेच आ बेटा!!,वरना रात का चुल्हा नही जलेगा।"
"माँ लेकिन मेरा स्कूल???? ---चल आज मैं जाता हूँ पर तू आराम करियो (करना) घर पर।."
काश आज बापू जिंदा होते तो।
सारा दिन घूप मे घुमकर "बुढ़िया के बाल" (कैंडी) बेचते-बेचते भूखा-प्यासा हो वह एक चौराहे पर थोड़ा सुस्ताने बैठ जाता है। थकान से कब आँख लग जाती है पता ही नही चल पाता।
तभी एक सुंदर सी परी------
"भोलू बेटा!!! उठो ये देखो मैं तुम्हारे लिये क्या लाई हूँ । ये लो पहले कुछ खा लो और देखो ये रही तुम्हारी क़िताबें,चलो शाम होने वाली है मैं तुम्हें माँ के पास छोड आऊँ। चलो उठो जल्दी!!
"अरे!!! मैं कहाँ आ गया ? "
"माँ!!! कहाँ हो ? हमारा घर और माँ तुम्हारा बुखार!! तुम ठिक तो होना????
तभी एक दरोगा आकर उसके पुठ्ठे पर धौल जमाकर कहता है--
"चल उठ !!बे क्या अपने बाप की जगह समझ रखी है । इसकी औकात तो देखो जो यहाँ सोकर सपने देख रहा है ।
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