आफ़िस चारो ओर अस्त-व्यस्त पडा था। आफ़िस ब्वाय संतोष आया नहीं था। सारे कर्मचारी अंगूठे का निशान लगा अपनी-अपनी सीट पर जम चुके थे। किसी को अपने टेबल पर धूल नजर आ रही थी तो कोई चाय की तलफ़ लिये यहाँ-वहाँ डौल रहा था। अपने केबीन से बास भी बार-बार बेल बजाकर उसके बारे मे पूछ रहे थे। लेकिन कोई भी अपनी सीट से उठकर अपना टेबल साफ़ करने या चाय का कप खुद लेकर आने की जहमत नहीं उठा रहा था। तभी "आभा" मेडम ने प्रवेश किया वो आफ़िस काम के साथ-साथ व्यवस्थापक का निर्वाह भी बडी खूबी से करती थी। आते ही हाथ मे कपडा उठाया और मेज...
मोबाईल लगाकर कान के निचे दबा गुमटी वाले को चाय का आदेश दे दुसरे हाथ से फ़ाईले व्यवस्थित कर दी।
अंदर बास के चेहरे पर सुकुन के भाव थे। इधर आभा मेडम के चेहरे पर कुटिल मुस्कान।
आज कर्मचारियो की सालाना रिपोर्ट जो लिखी जानी थी।
नयना(आरती)कानिटकर
मोबाईल लगाकर कान के निचे दबा गुमटी वाले को चाय का आदेश दे दुसरे हाथ से फ़ाईले व्यवस्थित कर दी।
अंदर बास के चेहरे पर सुकुन के भाव थे। इधर आभा मेडम के चेहरे पर कुटिल मुस्कान।
आज कर्मचारियो की सालाना रिपोर्ट जो लिखी जानी थी।
नयना(आरती)कानिटकर
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