सोमवार, 2 नवंबर 2015

" बात बिगड गई"


"सुनील !!!यह बताइय़े हमारा जो नया टेंडर आज जमा होना है उसका क्या हुआ?"
" सर!!! पूरी तैयारी है बस एक दो मुद्दों पर आपसे चर्चा करनी है ।"
"बोलिये!! यू खिसे मत निपोरिये,जल्दी बताइये क्या कहना चाहते है।"
"सर!! वो कुछ नक़दी का इंतज़ाम हो जाता तो---- आप तो जानते ही है।"
" जब हमारी सारी कगजी कार्यवाही वैधानिक और साफ़ सुथरी है,यथासंभव किमत भी कम से कम तय कि है  फिर यह नक़दी?."
"आप तो जानते है सर !!!,इसके बिना हमारा टेंडर पास होना कितना मुश्किल है."
" बैग तैयार है, और हाँ !!! मगर काम हो ही जाना चाहिये, त्यौहार भी पास ही है ।
"जी सर!!!"
"केबीन से बाहर निकल वाह-वाह  करते हुए बैग से ५०० की दो गड्डिया निकाल अपनी जेब के हवाले कर-----"आज तो मेरी बात बन गई ।

 तभी अमित जी अपने केबिन से निकल के बर्ख़ास्तगी  का आदेश थमा देते है।

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