शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

"खरीददार"

अवध सिंग ने जब कोठे मे प्रवेश किया तो सारा कमरा शराब की गंध से भर उठा.
वह  अवध को लगभग खिंचते उसे दूसरे कमरे मे ले जाने लगी. तभी उसकी नजर
"अरे!!! ये ये कौन चम्पाकली है तेरे संग. आज तू इसे मुझे सौंप दे. वैसे भी तू अब सूखा फूल---"
"नागिन की तरह फ़ूफ़कार उठी कमला.मजबूरी मे बिकी थी मैं."
"तू!!! मेरी बेटी का खरीददार नहीं हो सकता."
उसे बाहर ठैल भडाक से दरवाज़ा बंद कर लिया.
नयना(आरती) कानिटकर
२७/११/२०१५

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