नवविवाहित सोना जब पहली बार मायके आयी तो पापा सुनील और माँ सुनयना के आगे शिकायतों का पुलिंदा खोलकर बैठ गई।
" पापा सच बोल रही हूँ ससुर जी तो महा निकम्मे आदमी हर चीज के लिये आवाज़ लगाते रहते है बहू ये कर दो ,बहू वैसा खाना चाहिये ...सच शोभित तो पूरे हेकडी ,जिद्दी और सासू माँ तो पूरी ..."
पापा की आँखें लाल-लाल और माँ का सिर्फ़ हूSSSS.
"देखो ना पापा माँ सिर्फ़ हूँSSS किये जा रही है।"
"सोना! शुरुआती दिन है धीरे-धीरे सब ठिक हो जायेगा।."
"सुनयना! सुनो तुम समघन से बात करो, ऎसा नही चलेगा। हमने अपनी बेटी को बडे नाजो से पाला है। उसकी कोई तकलीफ़ हमे बर्दाश्त नहीं।"
"नहीं जी हमसे ये ना हो सकेगा।"
"क्यो ना हो सकेगा कैसी माँ हो तुम."--सुनील नाराज़ होते हुए बोले
"सोना के पापा ! एक बात बताईये..."
मेरी माँ का हस्तक्षेप तुम्हें स्वीकार्य होगा।
नयना(आरती) कानिटकर
" पापा सच बोल रही हूँ ससुर जी तो महा निकम्मे आदमी हर चीज के लिये आवाज़ लगाते रहते है बहू ये कर दो ,बहू वैसा खाना चाहिये ...सच शोभित तो पूरे हेकडी ,जिद्दी और सासू माँ तो पूरी ..."
पापा की आँखें लाल-लाल और माँ का सिर्फ़ हूSSSS.
"देखो ना पापा माँ सिर्फ़ हूँSSS किये जा रही है।"
"सोना! शुरुआती दिन है धीरे-धीरे सब ठिक हो जायेगा।."
"सुनयना! सुनो तुम समघन से बात करो, ऎसा नही चलेगा। हमने अपनी बेटी को बडे नाजो से पाला है। उसकी कोई तकलीफ़ हमे बर्दाश्त नहीं।"
"नहीं जी हमसे ये ना हो सकेगा।"
"क्यो ना हो सकेगा कैसी माँ हो तुम."--सुनील नाराज़ होते हुए बोले
"सोना के पापा ! एक बात बताईये..."
मेरी माँ का हस्तक्षेप तुम्हें स्वीकार्य होगा।
नयना(आरती) कानिटकर