हरे रंग की लाल किनारी वाली साड़ी मे सुनयना का रुप जैसे और खिल आया था.
"राज ने छेडा भी उसे "ओहोSS !!! क्या बात है,आज तो ग़जब ढा रही हो."
"हा!! राज आज रक्षा बंधन है ना मुझे "कान्हा" को राखी बांधनी है .वो मेरे मित्र ,मेरे भाई सभी तो है .मेरा अपना भाई तो नाराज़------"आँखें भर आई सुनयना की.
तभी द्वार की घंटी बजी--- सामने सुजीत को देख ,सब कुछ भूल गई और उसे गले से लगा लिया .
"जरा सी गिरह से तू कितना नाराज गो गया मेरे छुटकू"
भाग कर अंदर गयी और जल्दी से आरती की थाली ला रक्षा सूत्र उसके हाथ मे बांध दिया.
आज सुजीत मे उसने कान्हा का रुप देख लिया था.
नयना (आरती) कानिटकर
२८/११/२०१५
"राज ने छेडा भी उसे "ओहोSS !!! क्या बात है,आज तो ग़जब ढा रही हो."
"हा!! राज आज रक्षा बंधन है ना मुझे "कान्हा" को राखी बांधनी है .वो मेरे मित्र ,मेरे भाई सभी तो है .मेरा अपना भाई तो नाराज़------"आँखें भर आई सुनयना की.
तभी द्वार की घंटी बजी--- सामने सुजीत को देख ,सब कुछ भूल गई और उसे गले से लगा लिया .
"जरा सी गिरह से तू कितना नाराज गो गया मेरे छुटकू"
भाग कर अंदर गयी और जल्दी से आरती की थाली ला रक्षा सूत्र उसके हाथ मे बांध दिया.
आज सुजीत मे उसने कान्हा का रुप देख लिया था.
नयना (आरती) कानिटकर
२८/११/२०१५